राजा फूलबारी – रामचन्द्र महतो कुशवाहा
नेपालके मधेश प्रदेश, सिरहा जिल्ला मिथिलाञ्चलमे राजा फूलबारीके नाम सहलेस फूलबारीके नामसे विश्व प्रसिद्ध हए। सहलेस एगो बहुत बडका पुरातात्विक फूलवारी हए । ई पुरातात्विक मात्र न होके ऐतिहासिक, धार्मिक आ पौराणिक फूलवारी भी हए ।
ऐकरा नेपालके गौरव भी कहल जाईअ। ई फूलवारी २५ बिघामे गोलाकार रुपमे फइलल हए। ऐई फूलवारीके फूल आ गाछी आईतक पहचान न हो सकल हए। पहचान करेके लेल बडका(बडका आयुर्वेद आ विज्ञानके जानकार सब फूलवारीके निरीक्षण कयलाके बादमे भी ठोस निष्कर्षमे नपुग सकल । लोगसव अनुमान करइअ कि वईअके गाछीसब ६ सय वर्ष से लेके नौ सय वर्ष पूरान हए। फूलवारीके प्राकृक्तिक सौन्दर्यके वर्णन केतनो कएलापर पूरा न हो सकइअ ।
राजा कुलेश्वर सिंह एक समयमे ऐकर संरक्षण आ सम्बर्द्धन कएले रहय। फूलवारीके देखरेख स्वम् राजा सहलेश करइत रहलन हञ । फूलवारीमे कुस्ती खेलेला अखडाके रुपमे उपयोग कएल जाईत रहलक हअ ।्
ओई समय ऐकर नाम सिलहट आखडा रहे । हरेक वर्ष जुडशीतलके शुभ उपलक्षमे अर्थात नयाँ वर्ष बैशाख १ गते ऐईअ बडका मेला लगइअ। ऐई मेलामे नेपाल आ भारतसे लोग पुगइअ ।
मेलामे आएल लोग बिधीपूर्वक पूजा पाठ करइअ। ऐइअ बली देवेके चलन भी हए। पहिल पूजा कुलेश्वरके होइअ ओकरा बादमे सहलेस पूजाके बादमे सब देवीदेवताके पूजा कएल जाईभ ।
ई परम्परा परापूर्व कालसे चलइत आ रहल हए। सहलेस फूलवारीके बीचमे दुगो गहबर (देवताके मन्दिर) बनायल गेल हए। पहिल गहबर सहलेस महाराजके हए त दोसर मालिनीके। ई गहबरमे महाराजा सहलेश आ मालिनीके विशाल मूर्ति स्थापना कएल गेल हए। ऐईसे ऐकर पुरातात्विक, ऐतिहासिक आ धार्मिक महत्व स्पष्ट होईअ। ऐगो पुजारी नियुक्ति कएल गेल हए। नियमित पूजा(पाठ करइअ ।
लोक नायक सहलेश दुसाध (पासवान) जातके कुलदेवता आ लोक देवताके रुपमे पूजीत छथ। स्थानीय लोग सबके अनुसार लोकनायक सहलेस हरेक दिन मणिक दहमे निहाके सहलेश फूलवारीमे से फूल लोढके महिसाथा स्थित राजमाता आ कमलामाईके पूजा पाठ करइत रहलन हअ से कहावत हए। फूलवारीमे गहवर तजीक गाछीके हरम नाम राखल गेल हए ।
ऐकरे ऐगो डाँढमे हरेक वर्ष चैत्र मसान्तके दिन, एक दिनके लेल मात्र ऐगो फूल मालाके आकारमे फूलाईअ आ विहान होइते सुख जाईअ ।
ऐकर रहस्य आईतक न खुल सकल हए। लेकिन स्थानीय लोगके विश्वास हए कि दोना मालिन अपना प्रेमी सहलेससे प्रेममे
बसीभूत होके अपना अमर प्रेमके प्रगट कररहल प्रतीकके रुपमे ई फूल फूला रहल हए। रोमाञ्चक आ रोमाण्टिक ई घटना छैठो शताब्दीसे लेके नियमित आ निश्चित मितिमे घटित हो रहल हए ।
ऐईलेल सहलेस फूलवारीमे प्रेमी प्रेमिका के मिलन केन्द्रके रुपमे प्रचार कएल जा सकइअ ।
सहलेस फूलवारी, मणिकदह, कमलदह, महिसौंथा गढ, सब ऐतिहासिक, पूरातात्विक, धार्मिक आ पौराणिक प्रर्यटकीय जगहके रुपमे प्रचार प्रसार कएल जा सकइअ ।
वैसेही मिथिलाञ्चलके कुछ महत्वपूर्ण फूलवारी मध्ये जनकपुरके मणिमण्डप आ तिरहुतीआ गाछी ।
जनकपुरके फूलवारीके वर्णन महाकवि तुलसीदास भी कएले छत। ईहे फूलवारीमे मर्यादा पुरुषोतम रामचन्द्र आ जगत जननी जानकीके पहिल मिलन भेल रहेसे बात पायल जाईअ। फूलवारीमे से फूल तोडके जानकी सङगीके साथ कूलदेवता गिरीजाके पूजा पाठ भी करइत रहलन से कहावत हए। ऐईसेही पूरातात्विक आ पौराणिक फूलवारी लुम्बनीके भी रहे । ऐईसेही ऐतिहासिक
फूलवारी कर्नाट वंशीय राजा सबके पुराना राजधानी सिमरौनगढ में भी रहे। ई सब अस्तित्व मे न हए ।
लोगसबके अनुसार सहलेसके गोहरैलापर मनके बात पुरा हो जाईअ जइसे जेकरा बेटावेटी न हए । उ मानदान करइन त प्राप्त होइअ ।
पूरान लोगके सुनल अनुसार योद्धा, साहसी, धार्मिक व्यक्तित्व सहलेसके चर्चा ब्रिटीस नागरीक जर्ज गिर्वसन अपना किताबमे पहिलेके समय सन् १७८१ मे
उल्लेख कयले हए। भारत मे रहल ब्रिटीस शासन कालमे पूराना लोगके बात सुनके किताबमे उल्लेख कएले हए। ऐकर मुख्य स्रोत स्थानीय ज्येष्ठ नागरीक लोग हए ।
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